Wednesday, August 15, 2018

एबी डिविलियर्स बोले-क्रिकेट की कमी नहीं खल रही, जिंदगी का लुत्‍फ उठा रहा हूं

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान एबी डिविलियर्स इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने के बावजूद डिविलियर्स अपनी आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) की ओर से खेलना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि बड़े मैच में शतक जड़ने के अहसास की तुलना किसी चीज से नहीं जी जा सकती. हजारों लोग आपके नाम के नारे लगा रहे होते हैं. लेकिन ईमानदारी से कहूं तो निश्चित तौर पर मुझे इसकी कमी नहीं खलेगी. अब तक तो नहीं. खेल से हटकर मैं काफी खुश हूं. कोई मलाल नहीं.’

यह पूछने पर कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के बाद वह कुछ राहत महसूस कर रहे हैं तो डिविलियर्स ने कहा, ‘बेहद. हां... मुझे पता है कि सही जवाब संभवत: यह होता कि मुझे हमेशा खेल की कमी महसूस होगी.’अपने इंटरनेशनल करियर के दौरान 114 टेस्ट में 22 शतक की मदद से 50 .66 की औसत से 8765 रन बनाने वाले डिविलियर्स ने कहा, ‘मेरा मानना है कि खिलाड़ी जो यह कहते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव महसूस नहीं करते, वे सभी से और खुद से झूठ बोल रहे हैं.’डिविलियर्स ने 228 वनडे इंटरनेशनल मैचों में भी 25 शतक की मदद से 53 .50 की औसत के साथ 9577 रन बनाए.

ने माना है कि इंटरनेशनल क्रिकेट का दबाव कभी-कभी असहनीय हो जाता था और वे क्रिकेट से संन्यास लेकर राहत महसूस कर रहे हैं. मई में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा करके सभी को हैरान करने वाले इस बेजोड़ बल्‍लेबाज ने कहा कि उन्हें खेल की कमी नहीं खल रही और वह संन्यास के बाद के जीवन का लुत्फ उठा रहे हैं. ‘इंडिपेंडेंट’ समाचार पत्र से बातचीत करते हुए डिविलियर्स ने कहा, ‘कभी-कभी यह (दबाव) असहनीय हो जाता था- आपको जिस तरह के दबाव का सामना करना पड़ता था, लगातार प्रदर्शन करना होता था. आप स्वयं, प्रशंसक, देश और कोच आपके ऊपर दबाव बनाते हैं. यह काफी अधिक होता है और एक क्रिकेटर के रूप में यह हमेशा आपके दिमाग में होता है.’

वर्ल्‍डकप 1983 की बड़ी जीत के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) टीम के खिलाड़ि‍यों को सम्‍मानित करने और 'बड़ा' पुरस्‍कार देने के बारे में सोच रहा था लेकिन समस्‍या यह थी कि उसके पास ज्‍यादा धनराशि नहीं थी. क्रिकेट का खेल उस समय तक पेशेवर रूप नहीं ले पाया था और उस समय बीसीसीआई आज की तरह 'धनकुबेर' नहीं था. स्‍वरकोकिला लता मंगेशकर ऐसे में बीसीसीआई और खिलाड़ि‍यों की मदद के लिए आगे आई थीं.

क्रिकेट की बाइबल मानी जाने वाली पत्रिका विज्‍डन ने मोहिंदर अमरनाथ को साल के 5 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में चुना था. कह सकते हैं कि कपिल देव और मोहिन्दर अमरनाथ भारतीय क्रिकेट में बदलाव के सूत्रधार थे. 1983 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय क्रिकेट हमेशा के लिए बदल गया.हमेशा अपनी ट्राउंजर के पॉकेट में लाल रुमाल रखने वाले "मास्टर ऑफ़ कम बैक" मोहिन्दर अमरनाथ को तेज़ गेंदबाज़ों के समक्ष बेहतरीन बल्लेबाज़ माना जाता था.

No comments:

Post a Comment